Friday 25 May 2007

सेज के विवाद में फंसा उत्तरप्रदेश और बंगाल

सेज के विवाद में फँसा है उत्तरप्रदेश और बंगाल । कल नंदीग्राम मुद्दे पर गुरुवार को बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक बिना किसी नतीजे पर पहुंचे ही ख़त्महो गयी और उधर उत्तरप्रदेश की mukhyamantri मायावती ने भी सेज se hath peechhe kheech liya. कोलकता में farward blok के बुजुर्ग नेता अशोक घोष का मानना है कि बैठक स्थगित की गयी है, इसका कारण यह है कि बिना किसी पूर्व तैयारी के यह बैठक आयोजित की गयी थी, जिसके कारण इसका कोई परिणाम नहीं निकल पाया। बैठक में शामिल नेताओं का कहना है कि बैठक शीघ्र बुलायी जायेगी लेकिन उससे पहले बैठक में शामिल होने वाले नेता पूरी तैयारी करके आयेंगे। बैठक में उठाये गये कुछ मुद्दों से असहमत होने के बाद तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बैठक का बहिष्कार किया और बीच में ही उठकर चली गयीं। फारवर्ड ब्लाक के नेता अशोक घोष ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा कि नंदीग्राम में शांति बहाली का प्रयास जारी रहेगा। इसकी जिम्मेदारी उन्हे सौंपी गयी थी परन्तु कुछ खामियों की वजह से बैठक स्थगित करनी पड़ी। यह पूछे जाने पर ममता बनर्जी बीच में ही बैठक छोड़कर क्यों चली गयीं, उन्होंने कहा कि लगभग डेढ़ घंटे तक चली बैठक में उनको एवं उनके सहयोगियों को बोलने का पूरा मौका दिया गया परन्तु कुछ मुद्दों पर मतभेद होने की वजह से वह बैठक के बीच से ही उठकर चली गयीं। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी नंदीग्राम की घटना को नरसंहार की संज्ञा देने पर जोर दे रही थीं परंतु सुभाष चक्रवर्ती ने यह कहते हुये इसका विरोध किया कि गांव वालों ने पुलिस पर हमला किया था, इसके विरोध में पुलिस को गोलियां चलानी पड़ीं, इसलिए इस घटना को नरसंहार नहीं करार दिया जा सकता। ममता बनर्जी का कहना था कि इस परिस्थिति में चर्चा का कोई महत्व नहीं है। जिसे इस मुद्दे पर चर्चा करनी होगी, वे अब मेरे पास आएंगे। अगली बार होनेवाली बैठक में ममता बनर्जी के उपस्थित होने के बारे में पूछने पर अशोक घोष ने इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। संवादाताओं के बहुत सारे प्रश्रनें का जवाब उन्होंने नहीं दिया। श्री घोष ने कहा कि नंदीग्राम में शांति बहाली के मुद्दे पर प्रस्ताव पेश किया गया था, जिस पर हुयी चर्चा में बैठक में शामिल सभी सदस्यों ने भाग लिया लेकिन बैठक में कोई प्रस्ताव पारित नहीे हो पाया। श्री घोष ने कहा कि नंदीग्राम में शांति बहाली से संबंधित मुद्दों पर विभिन्न दलों में मतभेद है। सभी मुद्दों पर और चर्चा करने की जरूरत है, इसलिए फिर सभी दलों से बातचीत कर सर्वदलीय बैठक बुलायी जायेगी।
राज्य सरकार के परिवहन मंत्री सुभाष चक्रवर्ती ने कहा है कि सर्वदलीय बैठक की विफलता के लिए तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी दोषी है। माकपा शुरू से ही तृणमूल द्वारा बैठक में उठाये जाने वाले बिन्दुओं के खिलाफ थी, इसके बावजूद सुश्री बनर्जी विवादित बिन्दुओं को उठाने पर जोर दे रही थीं। इसके बाद ही उन्होंने विरोध किया और अपनी बात रखनी चाही। उन्होंने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि सर्वदलीय बैठक बुलाने का एकमात्र उद्देश्य था नंदीग्राम में शांति बहाली के लिए विचार करना लेकिन यहां तो गडे़ मुर्दे उखाड़े जा रहे थे। मैं माकपा की ओर से बैठक में प्रतिनिधित्व कर रहा था, इसलिए मैंने अपना पक्ष रखा। वह अपना पक्ष रखने के लिए स्वतंत्र हैं और उन्होंने कुछ बुरा नहीं किया।तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में शांति बहाली को लेकर गुरुवार को महाजाति सदन में बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक की विफलता के लिए माकपा नेताओं को दोषी ठहराया है। उन्होंने बीच में ही बैठक का बहिष्कार करते हुए पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि नंदीग्राम मुद्दे पर माकपा नेताओं (परिवहन मंत्री सुभाष चक्रवर्ती, सीटू नेता श्यामल चक्रवर्ती व मदन घोष) ने उन्हें बोलने से बीच में रोका दिया। ऐसी सूरत में बैठक में शामिल होने का क्या तुक है। वह महाजाति सदन में कृषि भूमि रक्षा समिति से जुड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ चाय व लाली पॉप खाने नहीं आयी थीं, पर माकपा नेताओं ने बैठक में व्यवधान पैदा कर नंदीग्राम मुद्दे पर पानी फेर दिया। उन्होंने कहा कि बैठक में शामिल होने के पहले से वह नंदीग्राम से जुड़े तीन बिन्दुओं को उठाने की बात कह रही थीं। इसमें गत 14 मार्च की घटना को जनहत्या करार देना, कांड में लिप्त दोषियों को चिह्नित कर सजा देना व घटना की सीबीआई जांच फिर से शुरू करने आदि पर चर्चा करने की मांग कर रही थी लेकिन माकपा नेता इन बिन्दुओं पर आपत्ति जताते हुए शोरगुल करने लगे। इसके बाद वहां उपस्थित रहने का कोई तुक नहीं था। उन्होंने कहा कि वह बैठक की विफलता के लिए फारवर्ड ब्लाक के नेता अशोक घोष व आरएसपी व भाकपा के नेताओं को दोषी नहीं ठहरा रही हैं। ऐसा इसलिए कि इन नेताओं ने नंदीग्राम में माकपा की उदासीनता के बावजूद शांति बहाली के पहल की, पर माकपा नेताओं को यह पहल अच्छा नहीं लगा। सुश्री बनर्जी ने कहा कि घटना के दो महीने से अधिक होने के बावजूद दोषियों पर कार्रवाई के लिए सरकार गंभीर नहीं है। यहां तक कि बैठक बुलाने के लिए भी वाममोर्चा की ओर से सरकारी पैड का इस्तेमाल नहीं किया गया। मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पार्टी से जुडे़ दो नेताओं को बैठक में भेजकर अपना फर्ज पूरा कर लिया। भला ऐसा कहीं होता है। उन्होंने कहा कि शुरू से उन्हे इसकी आशंका थी कि माकपा सर्वदलीय बैठक को सफल नहीं होने देगी और वैसा ही हुआ। वह आगे से इस तरह की बैठक में भाग नहीं लेंगी, जिसमें नतीजा निकलने की संभावना क्षीण हो। सुश्री बनर्जी के अनुसार सरकार की गंभीरता का इसी से पता चलता है कि अब भी नंदीग्राम में माकपा समर्थकों की ओर से गोलीबारी हो रही है, पर सरकार चुप्पी साध रखी है। इससे स्पष्ट होता है कि माकपा नंदीग्राम में शांति नहीं चाहती है और माहौल को तनावपूर्ण रखना चाहती है। राज्य सरकार की हठधर्मिता को देखते हुए हम नंदीग्राम मुद्दे पर आगे आंदोलन जारी रखेंगे।नंदीग्राम में शांति बहाली को लेकर वृहस्पतिवार को महाजाति सदन में हुए सर्वदलीय बैठक में भाजपा को आमंत्रित नहीं किए जाने के प्रतिवाद में भाजपाइयों ने प्रदेश भाजपा कार्यालय व महाजाति सदन के सामने विरोध प्रदर्शन किया। भाजपाइयों ने सर्वदलीय बैठक में भाग लेने आ रही तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की गाड़ी रोक औद्योगिक नीतियों के विरुद्ध नारा लगाये। महाजाति सदन के इर्द गिर्द किसी भी भाजपा कार्यकर्ता को पुलिस ने फटकने नहीं दिया। जो भी भाजपा समर्थक महाजाति सदन पहुंचे पुलिस उन्हे गिरफ्तार कर लाल बाजार पुलिस लोक अप भेज दी। लाल बाजार लाकअप भेजे जाने वालों में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा, भाजपा नेता प्रभाकर तिवारी, आलोक गुहा घोष, विजय ओझ, किशन झंवर, विनय कुंवर, पार्षद सुनीता झंवर मुख्य है। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे श्री सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार हर व्यक्ति को है। भाजपा समर्थकों के साथ इस प्रकार का अत्याचार किया है। भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर इस घटना का विरोध करेगी। आगामी दिनों में इसके प्रतिवाद में आंदोलन किया जायेगा। मालूम हो कि भाजपा के अलावा जमायते-उला व एसयूसीआई को भी सर्वदलीय बैठक में शामिल होने का न्यौता नहीं मिला था, लेकिन इन पार्टियों के समर्थकों ने महाजाति सदन के सामने विरोध प्रदर्शन नहीं किया। फारवर्ड ब्लाक के राज्य सचिव व बैठक आयोजित करने में मुख्य भूमिका अदा करने वाले अशोक घोष ने कहा कि सभी दलों के नेताओं की उपस्थिति में शांतिपूर्ण व सुरुचिपूर्ण माहौल में बैठक हुई है। हालांकि एक बैठक में इस मुद्दे से जुड़े सभी विषयों पर चर्चा नहीं की जा सकती। इस लिये और भी ऐसी बैठकें आयोजित करने का फैसला किया गया है। श्री घोष ने सभी पक्षों का धन्यवाद देते हुये कहा कि मेरी पार्टी को बैठक की व्यवस्था संभालने का जिम्मा दिया गया था और हम इससे संतुष्ट है। श्री घोष ने कहा कि नंदीग्राम में शांति लौटाने के लिये ऐसा प्रयास बहुत जरूरी है। सभी दल इस बात से सहमत है।

सेज के लिए भूमि अधिग्रहण नहीं
मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने घोषणा की है कि विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के लिए किसानों की जमीनों का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। साथ ही कहा कि प्रदेश में बिना किसी भेदभाव के सभी को समान अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे और अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। मायावती उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार बनने के बाद शुक्रवार को यहां पहली बार राष्ट्रीय मीडिया को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि ग्रामीण एवं शहरी विकास के लिए दो नए विभाग गठित किए गए हैं। उन्होंने अपराधियों के खिलाफ सघन अभियान छेड़ने का संकल्प दोहराया। सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की नीति पर चलने का ऐलान करते हुए मायावती ने कहा कि उनकी सरकार राज्य में सभी वर्गो जातियों व समुदायों को समान अवसर उपलब्ध कराएगी और किसी के खिलाफ राजनीतिक बदले की भावना से काम नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि अगर पिछली सरकार के निर्णयों को जनविरोधी पाया गया तो उनकी समीक्षा करने से भी राज्य सरकार नहीं हिचकेगी। जंगलराज खत्म करने का संकल्प व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की जनता ने अपराधियों व माफियाओं के खिलाफ जनादेश दिया है और उनकी सरकार इसका सम्मान करते हुए सभी कुख्यात अपराधियों को कानून के सामने झुकने को मजबूर कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डालेगी या फिर उन्हें राज्य छोड़कर भागने को मजबूर होना पडे़गा। सेज के बारे में अपनी सरकार की नीति स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए किसानों की जमीनों का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा बल्कि सेज स्थापित करने वालों को जमीन लेने के लिए किसानों से सहमति लेनी होगी। सरकार इस काम में मददगार की भूमिका निभा सकती है। राज्य में प्रतिमाओं की स्थापना के बारे में उन्होंने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक या निजी जमीन पर कोई प्रतिमा बिना मुख्यमंत्री कार्यालय की अनुमति के स्थापित नहीं हो सकेगी ताकि किसी भी प्रकार का सामाजिक विवाद पैदा न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी स्तरों पर प्रशासन के पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए निगरानी रखी जाएगी और अचानक निरीक्षण कर विकास कार्यो के गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी।

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