Tuesday 20 May 2008

खतरे में हैं हिंदू

पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा संकट हिंदू ही झेल रहे हैं। मानवाधिकार संबंधी एक नई रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश, पाकिस्तान, मलेशिया और सऊदी अरब सहित दुनियाभर के कई देशों में रहने वाले हिंदू रोजाना भेदभाव, पीड़ा और खतरे के साए में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
स्वयंसेवी संगठन ‘हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन’ (एचएएफ) द्वारा आज यहां जारी की गई ‘दक्षिण एशिया और विदेशों में हिंदू: मानवाधिकार सर्वे 2007’ नामक इस रिपोर्ट में दस देशों में हिंदुओं के जीवन स्तर का अध्ययन किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में सरकार बदलने के बावजूद वर्ष 2007 के पहले छह महीनों में हिंदुओं की हत्या, बलात्कार और मंदिर तोड़ने जैसी 270 घटनाएं दर्ज की गई हैं। वहीं पाकिस्तान में भी हिंदुओं के खिलाफ बंधुआ मजदूरी, अपहरण और महिलाओं के जबरन धर्म परिवर्तन जैसे कई अपराध घटित हुए हैं।
रिपोर्ट को जारी किए जाने के अवसर पर सीनेटर फ्रैंक आर. लाउटेनबर्ग ने कहा, “हम सभी के मूल्य एक समान हैं। हमें सभी लोगों उनकी संस्कृतियों और आस्थाओं का सम्मान करना चाहिए लेकिन यह रिपोर्ट बताती है कि अभी भी ढेरों कमियां मौजूद हैं”। रिपोर्ट लॉन्गवुड विश्वविद्यालय में संचार विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर रमेश राव के नेतृत्व में तैयार की गई।
हिंदुओं पर अत्याचार के मलेशिया में तमाम उदाहरण है। मसलन मलेशिया के पेराक राज्य के तूपाह एस्टेट में रहने वाले तमिल हिंदुओं ने श्मशान भूमि को कृषि भूमि में परिवर्तित कर दिए जाने का विरोध किया है। विरोध के लिए उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन का सहारा लिया। एस्टेट में रहने वाले एम. मरिमुथु ने दावा किया कि भारतीय समुदाय पिछले 90 सालों से इस भूमि का प्रयोग अपने लोगों के अंतिम संस्कार के लिए कर रहा था। उन्होंने कहा, “कुछ गैरजिम्मेदार किस्म के लोगों ने जमीन पर कब्जा कर लिया है और उसके मालिकाना हक का दावा करने लगे हैं”।
नेपाल तो अब हिंदू राष्ट्र रहा नहीं और मलेशिया में हिंदुओं पर कानूनी अत्याचार भी थमा नहीं है जबकि ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर के नेलसन इलाके के नागरिकों ने स्वामी नारायण संस्था द्वारा प्रस्तावित एक हिन्दू मंदिर के निर्माण का विरोध किया गया। स्थानीय लोगों का तर्क है कि मंदिर के निर्माण के कारण इस क्षेत्र में पार्किग और इमारतों का डिजाइन प्रभावित होगा। इससे पहले इस इलाके में एक मुस्लिम स्कूल के खिलाफ भी लोग एकजुट हो गए थे। संस्था के ट्रस्टी करसन कराई ने बताया कि दरअसल लोग हिन्दू मंदिर को लेकर भ्रमित हैं और फिजूल के सवाल उठा रहे हैं। इस इलाके में हिन्दू मंदिर के निर्माण से स्थानीय सुविधाओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
संस्था ने 10 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की लागत से इस इलाके में एक हिन्दू मंदिर के निर्माण की योजना बनाई है, लेकिन स्थानीय नागरिक मंदिर के डिजाइन और पार्किंग को लेकर इसका विरोध कर रहे है।इससे पहले स्वामी नारायण संस्था कई देशों में भव्य मंदिरों का निर्माण कर चुकी है। गौरतलब है कि लंदन के नेस्डन इलाके में बनाया गया हिन्दू मंदिर ब्रिटिश हिन्दूओं में काफी लोकप्रिय है। हॉल ही में इस संस्था ने अटलांटा और टोरंटो में भी भव्य हिन्दू मंदिरों का निर्माण किया है।

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